आंतो के बीच में जब सूजन के साथ साथ ज़ख्म बन जाते है , तो उसे आंतो की सूजन बोलते है। जब बीमारी अधिक पुरानी हो जाती है तो शरीर में अन्य बीमाररयों को भी उत्पन्न कर देती है। जैसे की कोलन की मेम्ब्रेन का खराब हो जाना , कमजोरी पैदा हो जाना , शरीर सूखने लगता है, वजन प्रततददन कम होता जाता है। आयुवेद में इसे गृहणी के नाम से बताया गया है। जजसमें कक तनरंतर जलीय रूप में मल बाहर आता है, वो भी आव के साथ और उसमें बहुत ज़्यादा ही बदबुदार होता है। कई बार इसमें रक्त भी साथ आने लगता है। इसमें अजनन दोष की वजह से ही ये समस्या होती है जो की गलत आहार ववहार से शरीर में दोषो को उत्पन्न करने लगाती है। वपत्त दोष एवं वात दोष की वजह से ये बबमारी उत्पन्न होती है। शरीर में अजनन की मात्रा बढ़ने से वह खाये हुए आहार को अच्छे से पचा नहीं पाती है। जजस से की आम की उत्पतत होती है और अधिक मात्रा में अजनन के बढ़ जाने से रक्त िातु और मांस िातु को भी नुकसान पंहुचाता है।

कारण

  • इसके सही कारण का अभी पता नहीं चल पाया है। ववरुद्ि आहार ववहार या तनाव की वजह से ही इसका शरीर में होना माना जा सकता है। कई बार इस का कारण अनुवांशशक रूप भी माना गया है यदद माता वपता को अगर यह बीमारी है तो तनजचचत ही यह बच्चो में भी हो सकती है।

लक्षण

  • अततसार
  • रक़्त अततसार
  • पेट ददद घबराहट
  • उद्गार
  • उलटी का आना
  • मुुँह में छाले पड़ना
  • भूख का कम लगना
  • पेट फूला हुआ महसूस होना
  • शरीर और मुुँह में दुगदन्ि पैदा होना
  • मल करते हुए आंव का आना

घरेलु उचार

  • अल्सरेदटव कोलाइदटस में हम तनम्ब्नशलखखत पेय का सेवन कर सकते है जैसे कक नाररयल पानी ,दुब घास ,गेंदा ,गेहुजवार स्वरस ,जैतून आयल, अदरक ,हल्दी ,सेब का शसरका, अनार, तक्र . तक्र को ग्रहणी की श्रेष्ट मेडिशसन बताया गया है क्योंकक इस व्याधि में दीपन पाचन का ववशेष ियान ध्यान रखना पड़ता है ताकक आम का पाचन हो सके
  • और इस के शलए तक्र को श्रेष्ट श्रेष्ठ माना गया है जंक आहार का त्याग कर देना चादहए। अतत शीत जल का सेवन न करे।

आयुर्वेदिक धचककत्सा-

  • 1. एलोवेरा - एलोवेरा को घृतकुमारी से भी जाना जाता है। यह क्षुप रूप में पयादप्त होती है। इसमें कई तरह के खतनज पाए जाते है। मदहलाओं के शलए यह उत्तम आहार है। मदहलाओं की बच्चेदानी के शलए यह बहुत सही औषि है। इसका सेवन खाली पेट सुबह के वक़्त गुनगुने पानी के साथ ले सकते है। प्रेननेंट मदहला को इसका तनषेि है।
  • 2. कुटज - इस औषि को आंतो की सूजन में प्रयोग करते है कॉजन्सन के साथ साथ इसमें 17 प्रकार के अल्केलॉइड्स पाए जाते है कुटज रक्ताततसार एवं प्रवादहका की उत्तम औषधि है योतन को प्रसव के उपरांत उसे दृढ़ करने में भी इसका प्रयोग ककया जाता है खूनी बवासीर में कुटज के बीजो को दूि में िालकर उसका काढ़ा तैयार कर के ददया जाता
  • 3. कालमेघ - यह स्वाद में कड़वा होता है इसशलए इसे बबटर का राजा भी बोला जाता है यह शरीर से ववषाक्त पदाथों को तनकलने में भी हेल्प करता है कैंसर के शलए इसके अकद का भी इस्तेमाल होता है

सतुललत आहाि

  • आुँत शोथ में संतुशलत आहार ही लेना चादहए। जैसे की पपीता जूस , बंि गोभी का जूस , गाजर का जूस। ध्यान रखे की खट्टी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चादहए।
  • सभी तरह के आहार का सेवन अच्छी तरह से चबा कर करना चादहए। वपत्त को बढ़ाने वाली वस्तुओं का कम सेवन करना चादहए।
  • कोफ़ी का सेवन तथा दूि के बने खाद्य पदाथो का सेवन काम करे।

योगासन-

  • वज्रासन, पवनमुक्तासन , सवाांगासन , कपालभातत , सूयदनमस्कार , शवासन

उपदृर्व

  • आंत्र छेद
  • आंत्र का शसकुड़ जाना
  • आंत्र शोथ
  • पथरी का बन जाना
  • सजन्िवात रोग
  • कोलन कैंसर
  • अतत रक्तस्त्राव

आंतो में सूजन से बचार्व

  • .जल का सेवन पूरे ददन में थोड़ी थोड़ी मात्रा में करन.
  • भोजन को ददन में कई बार थोड़ा थोड़ा मात्रा में ग्रहण करन.
  • फाइबर युक्त आहार का सेवन अधिक मात्रा में करना
  • फैट युक्त पदाथद एवं जंक फ़ूि से दूर रहना.
  • देर से पचने वाले आहार का पररत्याग करना जैसे की छोले , राजमा , आदद
Author's Bio: 

DR. Vikram Chauhan, MD - AYURVEDA is an expert Ayurvedic practitioner based in Chandigarh, India and doing his practice in Mohali, India. He is spreading the knowledge of Ayurveda Ancient healing treatment, not only in India but also abroad. He is the CEO and Founder of Planet Ayurveda Products, Planet Ayurveda Clinic and Krishna Herbal Company. For more info visit our website: http://www.planetayurveda.com